अब नए फॉर्मेट में होगी UPSC की परीक्षा?
तैयारी के तरीकों में करने होंगे बदलाव।
नई दिल्ली।। लंबे विचार-विमर्श और महीनों से जारी उलझन के बीच अंतत: सिविल सेवा परीक्षा के कार्यक्रम की घोषणा नए बदलाव के साथ इस हफ्ते हो सकती है। इसके साथ ही सालों से चली आ रही परीक्षा में पारंपरिक शैली में बदलाव इसी साल से प्रभावी हो सकता है।
मसला परीक्षा की तारीख का
देश के लाखों उम्मीदवार सिविल सर्विस परीक्षा-2013 की घोषणा में हो रही देरी से परेशान हैं। अमूमन फरवरी के पहले हफ्ते में परीक्षा की अधिसूचना जारी कर दी जाती है और मई में प्रारंभिक परीक्षा (पीटी) होती है। हर साल 5 लाख से अधिक अभ्यर्थी इस परीक्षा में भाग लेते हैं। इस साल भी 2 फरवरी को परीक्षा कार्यक्रम की घोषणा होने वाली थी। लेकिन सोमवार की देर शाम तक यूनियन पब्लिक सर्विस कमिशन की आधिकारिक वेबसाइट पर सिर्फ जरूरी कारणों से इसके टल जाने की बात लिखी हुई थी। अधिकारियों के मुताबिक फॉर्मेट के मसले पर परीक्षा को टाला गया है
।
अब जबकि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने परीक्षा में प्रस्तावित बदलाव को लेकर सहमति दे दी है, उम्मीद है कि अगले 2-3 दिनों में सिविल सर्विस परीक्षा-2013 के कार्यक्रम की आधिकारिक घोषणा कर दी जाएगी। सामान्यतया मई में प्रारंभिक परीक्षा, अक्टूबर में मुख्य परीक्षा और उससे अगले वर्ष फरवरी-मार्च में इंटरव्यू होता है।
क्या है बदलाव
प्रस्तावित बदलाव के मुताबिक जनरल स्टडीज (जीएस) सबसे अहम पेपर के रूप में सामने आएगा। इसके लिए वैकल्पिक विषय के स्थान पर जनरल स्टडीज (जीएस) का एक अतिरिक्त पेपर मुख्य परीक्षा में जोड़ा जा सकता है। अभी जीएस के 2 पेपर होते हैं। वैसे तो इसका खुलासा परीक्षा कार्यक्रम की घोषणा के बाद ही होगा कि इन बदलावों का अंतिम स्वरूप क्या होगा और क्या ये बदलाव इसी साल से प्रभावी होंगे। लेकिन परीक्षा कार्यक्रम की घोषणा में देरी को देखते हुए कहा जा सकता है कि ये बदलाव इसी साल लागू होने तय हैं।
2 साल पहले इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन ने परीक्षा में बदलाव के बारे में अपने सुझाव दिए थे। विशेषज्ञों ने चिंता जताई थी कि पारंपरिक शैली की फिक्स फॉर्मेट की पढ़ाई को आधार बनाकर देश के सबसे बड़े प्रशासनिक पद के लिए योग्य उम्मीदवारों के चयन की परीक्षा का तरीका बदले परिवेश में प्रासंगिक नहीं रह गया है।
बढ़ सकती हैं सीटें
हालांकि इस बार स्टूडेंट के लिए राहत की बात यह हो सकती है कि आईएएस के पदों की संख्या में वृद्धि हो सकती है। पूरे देश में आईएएस की कमी को देखते हुए सरकारी कमिटी ने 2020 तक हर साल 80 अतिरिक्त आईएएस को चुनने का प्रस्ताव दिया है।
पिछले सालों में हुए अहम बदलाव
1993- 20 साल पहले यूपीएससी ने सिविल सर्विस परीक्षा में पहली बार निबंध को शामिल किया था। 2011- आरंभिक परीक्षा में एप्टिट्यूड का एक पेपर जोड़ा गया था।
क्या है बदलाव
प्रस्तावित बदलाव के मुताबिक जनरल स्टडीज (जीएस) सबसे अहम पेपर के रूप में सामने आएगा। इसके लिए वैकल्पिक विषय के स्थान पर जनरल स्टडीज (जीएस) का एक अतिरिक्त पेपर मुख्य परीक्षा में जोड़ा जा सकता है। अभी जीएस के 2 पेपर होते हैं। वैसे तो इसका खुलासा परीक्षा कार्यक्रम की घोषणा के बाद ही होगा कि इन बदलावों का अंतिम स्वरूप क्या होगा और क्या ये बदलाव इसी साल से प्रभावी होंगे। लेकिन परीक्षा कार्यक्रम की घोषणा में देरी को देखते हुए कहा जा सकता है कि ये बदलाव इसी साल लागू होने तय हैं।
2 साल पहले इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन ने परीक्षा में बदलाव के बारे में अपने सुझाव दिए थे। विशेषज्ञों ने चिंता जताई थी कि पारंपरिक शैली की फिक्स फॉर्मेट की पढ़ाई को आधार बनाकर देश के सबसे बड़े प्रशासनिक पद के लिए योग्य उम्मीदवारों के चयन की परीक्षा का तरीका बदले परिवेश में प्रासंगिक नहीं रह गया है।
बढ़ सकती हैं सीटें
हालांकि इस बार स्टूडेंट के लिए राहत की बात यह हो सकती है कि आईएएस के पदों की संख्या में वृद्धि हो सकती है। पूरे देश में आईएएस की कमी को देखते हुए सरकारी कमिटी ने 2020 तक हर साल 80 अतिरिक्त आईएएस को चुनने का प्रस्ताव दिया है।
पिछले सालों में हुए अहम बदलाव
1993- 20 साल पहले यूपीएससी ने सिविल सर्विस परीक्षा में पहली बार निबंध को शामिल किया था। 2011- आरंभिक परीक्षा में एप्टिट्यूड का एक पेपर जोड़ा गया था।
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